बीत जाएँ तेरे करम विगत जो
बीत जाएँ तेरे करम विगत जो
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शक्ति अपार व दृढ़विश्वास,
हो जगत जेय की सामर्थ्य
अपनत्व प्रेम की झलक है तुममे,
भाग्यश्री सा प्रकट हो अर्थ।
हर स्थिति में मिले सफलता,
हर कर्म तुम्हारा बने प्रबलता,
बीते कल की ओर न मुख हो,
आगे की सुध साथ अनल हो।
रात किये तुम भूल कोई जो,
दिन तक न खिल पाये कमल वो,
होगा उपसंहार सुखद तेरा,
बीत जाएँ तेरे करम विगत जो।
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