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gyayak jain

Others

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gyayak jain

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बीत जाएँ तेरे करम विगत जो

बीत जाएँ तेरे करम विगत जो

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शक्ति अपार व दृढ़विश्वास,

हो जगत जेय की सामर्थ्य

अपनत्व प्रेम की झलक है तुममे,

भाग्यश्री सा प्रकट हो अर्थ।


हर स्थिति में मिले सफलता, 

हर कर्म तुम्हारा बने प्रबलता,

बीते कल की ओर न मुख हो,

आगे की सुध साथ अनल हो।


रात किये तुम भूल कोई जो,

दिन तक न खिल पाये कमल वो,

होगा उपसंहार सुखद तेरा,

बीत जाएँ तेरे करम विगत जो।


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