बहुरि दिन फिरेंगे
बहुरि दिन फिरेंगे
बहुरि दिन हमारे फिरेंगे, बस ज़रा सब्र करना होगा,
बिगड़े सारे काम संवर जाएंगे ज़रा सब्र करना होगा !
समाज में नई चेतना आएगी,पापियों का नाश होगा,
क्यारी- में हरियाली छा जाएगी,ज़रा सब्र करना होगा !
सब दुःख दुर्दिन मिट जाएंगे,हर्ष सुख के दिन आएंगे,
फिर से उम्मीद के फल लगेंगे, ज़रा सब्र करना होगा !
फिर से इसी मधुबन में रास रचेगा और बांसुरी बजेगा,
फिर सतयुग त्रेता द्वापर आएगा,ज़रा सब्र करना होगा !
केशव फिर माखन खाएंगे, यशोदा मैया को बहलाएंगे,
फिर से नंदबाबा मुस्कुराएंगे,बस ज़रा सब्र करना होगा !
भारत विश्व गुरू बन जाएगा, ज्ञान पताका लहराएगा,
पुनः वसुधैव कुटुंबकम बन जाएगा,ज़रा सब्र करना होगा !
सुजलां सुफलां गाएंगे,वेद ऋचाएं गीता गुरुवाणी सुनाएँगे,
सब अष्ट सिद्धियां पा जाएंगे,परंतु ज़रा सब्र करना होगा !