बहुभुजाधारी
बहुभुजाधारी
विज्ञान और विश्वास में झूलती
दोनों के तालमेल में फलती-फूलती
नागों पली नागों में खेली, सर्पिली
केंचुली बदलते रगड़े चमड़ी पथरीली।
तन-बदन फुंकार भरा, नागों पर इतरा-इठला कर
सबसे बेपरवाह होकर
नशे में डुबोती नशीली
ज़हरीली बनती ज़हर काट कर।
अपने सपेरे के हाथों बीन पर झूमती
उसी के पास बने रहने हठ करती
उसी के सुर में सुर मिलाती सुरीली
उसी की धुन पर गर्व करती।
नागों के मध्य नागमणि सी चमकती
लहरा कर, जकड़ती, लुभाती शिवजटा को शोभित करती
नाग-रक्षित, सुरक्षित, बलखाती, कसमसा कर
नागों में खेली नागिन बन डसती।
वर्तमान वैज्ञानिक परिवेश में
सुसज्जित आधुनिकतम सशस्त्रों में
बहुभुजाधारी दैविक रूप धारण किए
सशक्त नारी परम्परागत आस्था में।
युगों युगों से युगों को आगे बढ़ाती
हर रिश्ते को समझ सम्भालती
सर्वगुण सम्पन्न सर्वदा समकालीन
नवयुग में भी निपुणता दर्शाती।
