भ्रम
भ्रम
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भ्रम टूटा पर देर हो गये
सब्र रूठा पर अंधेर हो गये
किस किस का ज़िक्र करोगे
हस्र झूठा पर सबेर हो गये !
अब तो सब दिख कर रहेगा
सच का सच और झूठ का सच
कब कब हारे क्या कहें जानिब
कद्र हुआ पर ठठेर हो गये !
तख्त पर तान बैठे हो आज
क्या तुम भी हार जाओगे,
झूठ औ झूठ का व्यापार है
सद्र हुए पर कठेर हो गये !!