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Prahlad mandal

Others

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Prahlad mandal

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भीड़ यूं ही नहीं लगती गंगा घाट पर

भीड़ यूं ही नहीं लगती गंगा घाट पर

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अपने कर्म को लिये चले ,

सब कोई आता गंगा घाट पर।

कुछ शुद्धि होने वास्ते ,

सब नहाये गंगा घाट पर।


सबको पता है कर्म अपना ,

यूं ही नहीं जाता सब गंगा घाट पर।

मन से अपने कर्म को धोकर ,

खुद को संतुष्ट कर लेता है।

कह देता फिर मन को अपना,

छोड़ दिया बुराईयां गंगा घाट पर।


दिखती है जो गंदगियां ,

कभी कभार गंगा घाट पर ।

असल में वो रहते हैं कर्म लोगों के,

जिसे धोने जाते हैं गंगा घाट पर।


अच्छाई भी बहुत मिलेंगी ,

कभी जाकर देखना गंगा घाट पर ।



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