भारती मातरम
भारती मातरम
पथ प्रज्वलित समग्र रत्नगर्भा, जुबां भारती।
शौर्य गाथा पर गोधूली अरुणोदय आरती।।
कुमुदिन फलक अभिलाष
जननी पादुका पग वास।
वैभव अगम्य अव परास
चंद्रमुखिका सुखमय त्रास।।
वसुंधरा मोहक सूरत सीरत तासीर संवारती।
पथ प्रज्वलित समग्र रत्नगर्भा, जुबां भारती।।
सरस शील मधुर भाषिणी
विचित्र सौम्य विचारिणी।
मातृ शक्तितुल्य सुहासिनी
वसुदेव वीरांगना विहारिणी।।
सिंहकर्मा अपराजित ओज, कटु दृष्टि हारती।
पथ प्रज्वलित समग्र रत्नगर्भा, जुबां भारती।।
अपूर्व प्रभुत्व मेघ गर्जना
अरि काल कोप कल्पना।
भिभत्सना शस्त्र घर्षणा
वीर जयघोष तुल्य तृष्णा।।
अडिग अभिराम चलाचल अनवरत सारथी।
पथ प्रज्वलित समग्र रत्नगर्भा, जुबां भारती।।
