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Rajit ram Ranjan

Others

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Rajit ram Ranjan

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बेवफा कहलाया...

बेवफा कहलाया...

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गम के बादलों ने 

मुझे इतना भीगाया, 

सर्द वाली रात ने भी 

बदन में आग लगाया, 

मेरी हर वफ़ा को 

बेवफा कहलाया !


मैं चाँद के उजाले में था, 

आँखें खुली तो, 

मधुशाले में था,

अपने ही कारनामें पे 

ज़ब मैं खुलके 

मुस्कराया, 

फिर से एक बार 

बेवफा कहलाया !


उसके इश्क़ में लूट जाने को 

जी चाहता था, 

उसकी बाजुओं में टूट जाने को 

जी चाहता था, 

क्यूँ बेवफा का दाग 

दामन से अब छूटता नहीं, 

उसके प्यार में खुद को 

लुटाया, 

फिर से एक बार 

बेवफा कहलाया !



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