बेटियां
बेटियां
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सन्नाटा पसरा पड़ा है चुप हुई हैं लोरियाँ
पालने खाली पड़े और भर गयी हैं बोरियाँ
ज़िन्दगी सिसक रही मौत अट्टहास करे
ममता का दामन मिटा मर रही हैं छोरियां
खिड़कियां सब बंद हैं रोशनी हताश है
बेटियों की कब्र में बेटों की तलाश है
प्रकृति बिलख रही मनुज का उपहास करे
बेटियों की चाह तो आज सिर्फ "काश" है
बेटियों से घर बने बिन बेटी मकान हैं
बेटियों से है खुशी बेटियां सम्मान हैं
माँ पिता का स्वप्न सदा बेटी ही साकार करे
कम नहीं हैं बेटों से बेटी खुद प्रमाण है
