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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

Others

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राहुल द्विवेदी 'स्मित'

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बेशक जुदा होकर जाए

बेशक जुदा होकर जाए

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जिसको जाना है वो बेशक जुदा होकर जाए ।

बस मेरा होने की पहचान को खोकर जाए ।।


नर्म लहजे से कोई प्यार का सौदा कर ले ;

तो कोई किस तरह इस दाग को धोकर जाए ।


अब तलक नम हैं मेरी पलकों के साये या रब ;

कोई अपना कभी जाये तो न रोकर जाए । 


जिसको जाना है वो जाता है तो जाये 'अस्मित',

हाँ मगर और किसी और का होकर जाए ।।



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