बेखबर हो जाता है मन
बेखबर हो जाता है मन
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एक पल भी
आपसे दूर होने की,
खबर से
बेखबर हो जाता है
मन,
हलचल बढ़ जाती है
थिरकने लगता है
तन,
कुछ अजीब सी
बेचैनी...
दिल कि धड़कन
को
रफ्तार देती है,
सब मायूसी सा
लगने
लगता है...
अंधेरों जैसा,
कदम आगे चलने
का नाम भी
नहीं लेता
है...
सोचने -समझने कि
शक्ति
दम तोड़ने
लगती
है...
फिर पता चलता है
कि ये सब
आपकी नाराजगी
में हुआ
था !
