STORYMIRROR

Nitu Mathur

Others

2  

Nitu Mathur

Others

बेबस

बेबस

1 min
137

वक्त से खुशी का लम्हा जैसे पल में गुज़र गया

मेरी रूह से तेरा सुरूर यूँ ही बरबस उतर गया

मैं चाह कर भी रोक ना पायी

बालू की तरह हाथ से फिसल गया

अब हर तरफ खामोशी सी है

आंखें सूखी नम -- बेबस सी हैं

दिन, महीने साल तो क्या, 

कोई तारीख अब याद नहीं, 

चेहरे पर हंसी जैसी कोई बात नहीं

तन्हाई, बेबसी के साये घेरे हैं मुझको

हर बारीक नस अंदर से तोड़े है मुझको

काश---- कि कुछ कर पाती

बस में होता तो वो पल वहीं रोक पाती। 


             


Rate this content
Log in