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Sandeep Saras

Others

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Sandeep Saras

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बदमाश उंगलियों में

बदमाश उंगलियों में

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देखे तुझे जो कोई मन में जलन हुई है।

मासूम भावना क्यों फिर बदचलन हुई है।

फूलों की कामना में काँटों को छेड़ बैठा,

बदमाश उंगलियों में अब तक चुभन हुई है।



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