बदली-बदली
बदली-बदली


चल रही है पवन सुहानी,
बह रही है नदी मतवाली
ढ़ल रही है शाम सुहानी,
खिल रही है मेरे मन की कली मस्तानी।।
फिर से ऋतु बसंत छायी है
मेरी दुनिया में, कुछ हलचल सी मचायें है,
बदली-बदली सी लगने लगी हूँ मैं,
मुझको-मुझसे ही प्रीत की पहल जगाये है।।
रंग बदले, चाल बदली,
अपने प्रतिबिम्ब को सामने शीशे में देख,
थोड़ा मैं भी दिखी बदली-बदली
सोच बदली, सूरत बदली,
पर कातिल ये मेरी मुस्कान, जरा न बदली।।
चाहतें है वही, अरमान है वही,
दिल भी वही, धड़कने भी है वही
मै भी वही, पर फिर भी हूँ बदली-बदली