बदलाव
बदलाव
न वो वक्त रहा न ही
पहले जैसे मधुर रिश्ते
बहुत करीब भी जो होते हैं
कभी कभी इतने अजीब लगते हैं
मानो कुछ पहचान ही न हो उनसे जैसे
शब्द भी कहने के लिए गले में रह जाते हैं
रिश्तों को समय चाहिए होता है
वही आज कहीं कम पड़ गया है
वक्त के बैंक में रिश्तों को जमा करो
यही तो असली पूंजी है