बदल गए
बदल गए
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राहें बदलीं कि देखिये रहबर बदल गए,
मुक़ाम बदले कि देखिये घर बदल गए!
संगतराश ने देखो कमाल क्या दिखाया,
अना-ऐ-हुस्न से देखिये पत्थर बदल गए!
राह-ऐ-हयात पे हम तो तेरे साथ चलेंगे,
बात यही हमसे वो ये कहकर बदल गए!
जिन पे कल तक था "क़ैस" को यक़ीन,
वक़्त आने पे देखिये, अक़्सर बदल गए!
दीवान-ऐ-आम में थी मज़लिस हुस्न की,
जंग छिड़ी तो दिलों पर नश्तर चल गए!
है काफ़िर "क़ैस" कि कलम को ये पूजे,
नुमाइंदे इब्लीस के सू-ऐ-क़ैस चल दिए!