STORYMIRROR

मिली साहा

Others

4  

मिली साहा

Others

बचपन

बचपन

1 min
422

कितना निश्चल कितना चंचल कितना प्यारा है ये बचपन,

अपनी ही धुन में मस्त रहना कितना न्यारा है यह बचपन,


जिम्मेदारियों की दलदल से दूर एक खूबसूरत सा जीवन,

न दिल में रहता है कोई गुस्सा न माथे पर है कोई शिकन,


छोटी-छोटी बातों में खुश हो जाना कितना मासूम है मन,

कागज़ की कश्ती में ढूंढ ले जो मस्ती ऐसा है यह बचपन,


मुंह बनाकर बातें करना पल में रूठना पल में ही मानना,

बिना कोई डर बेफिक्र होकर दिल की हर बात कह देना,


रोने की कोई वजह नहीं ना मुस्कुराने का है कोई बहाना,

जी भर हंसना जी भर रोना बचपन है संगीत का तराना,


शैतानियां कर बचने के लिए मां के आंचल में छुप जाना,

पापा की डांट खाकर भी प्यार सेे उनके कंधों पे लटकना,


खेलते खेलते कहीं पर भी बड़ी सुकून की नींद सो जाना,

ऐसी सुखद नींद के लिए दिल हर पल चाहेगा बच्चा होना,


चाहे बोल दें कितना भी झूठ फिर भी होता है सच्चा मन,

छल-कपट की दुनिया से दूर कितना पावन है ये बचपन,


महंगे खिलौने नहीं दोस्तों के साथ मिल जाती हैं खुशियां,

भविष्य की चिंता नहीं बस है सपनों की खूबसूरत दुनिया,


चांद तारे भी जमीं पर लाने का होता मन ऐसा है ये बचपन,

हमारे जीवन का सबसे श्रेष्ठतम समय होता है यह बचपन।


Rate this content
Log in