बचपन की वो यादें...
बचपन की वो यादें...
मैं उन गुज़रे लम्हों को अक्सर याद किया करता हूँ...
जिन लम्हों से गुज़रकर मेरी ज़िंदगी
अपने लड़कपन से जवानी के पायदान पर
आकर एक नई उड़ान भरती है!
मैं उन गुज़रे लम्हों को अक्सर याद किया करता हूँ...
मेरी ज़िंदगी के वो सुनहरे पल
आज भी मुझे याद आते हैं!
और मैं पंख फैलाकर नीले आसमान में
उड़ने को तैयार होता हूँ...
हाँ, मैं भी अपनी बात कर सकता हूँ!
आज इस भीड़ भरी भागदौड़ में
मैं अक्सर अकेला हो जाता हूँ...
और फिर पीछे मुड़कर अपने बचपन की
उन गुज़रे लम्हों को ढूंढ निकालने की
पुरज़ोर कोशिश करता हूँ...!!
हाँ, मैं थकता नहीं, मैं रुकता नहीं,
बस बचपन की उन यादों में डूब जाया करता हूँ...
