बचपन के किस्से
बचपन के किस्से
अपने बचपन के किस्से हैं,
जिसमें कुछ तेरे कुछ मेरे हिस्से हैं।
वह जो स्कूल के पीछे का बाग था,
बाग क्या स्वप्निल संसार था।
कच्ची अमिया अमरुद जी भर खाते,
कुछ बैठते तो कुछ लंबी दौड़ लगाते।
नीना की टिफिन की पूड़ी के गस्से,
आते हम सबके बराबर बराबर हिस्से।
वो जो मानू की साइकिल प्यारी थी,
हम सबकी शान की सवारी थी।
वो जो काकू के भैया आते थे,
सबको बर्फ का गोला खिलाते थे।
वह मेरे काका का जलेबी लाना था,
तुम सब का जो शोर मचाना था।
वो दिन भी क्या सुहाने थे,
जब हम सब से बेगाने थे।
घर बाहर बजाते बाजा थे,
अजी हम उन दिनों के राजा थे।
