बच्चों की खुशियाँ
बच्चों की खुशियाँ
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नन्हें-मुन्ने बच्चे ही,
खुशियों का संसार हैं।
इनकी खिलखिलाहट में ही,
मुस्कुराहटों की भरमार है।।
अच्छी लगती इनकी शैतानी,
होती प्यारी-प्यारी हैं।
कभी रूठना, कभी मानना,
इनकी यही कहानी है।।
बाबा का चश्मा लगाकर,
बाबाजी बन जाते हैं।
भैया की लेकर किताब,
पढ़ने बैठ जाते हैं।।
दादी को देकर दवाई,
डॉक्टर बन जाते हैं।
छोटी-छोटी चीजो में ही,
खुशियाँ ढूँढ लाते हैं।।
कभी रोकर, कभी प्यार से,
अपनी मर्जी मनवाते हैं।
घर में खुशियाँ इनसे हैं,
सबकी आँखों के तारे हैं।।
