बैल हमारे भाई हैं
बैल हमारे भाई हैं
बातों में लच्छे थे उनके, लगती थीं दमदार हमें
जबसे आसन दिलवाया है, कहते हैं गद्दार हमें।
कुछ जादू तो था उनमें भी बाकी भूल हमारी थी
लूट लिया आखिर हमको ही उनकी चौकीदारी थी।
कृपा हुई उनकी गौमाता खेतों में घुस आई हैं
कहना होगा सांड़ पिता हैं, बैल हमारे भाई हैं।
भगा रहे हैं दूर उन्हें हम, क्रोध उन्हें भी आता है
खाकर मार मरे हम, चुप हैं, पुत्र पिता का नाता है।
पिता कहें या नंदी कह लें, श्रद्धा-भाव जरूरी है
कातरता, शरणागत होना, भक्तों की मजबूरी है।
चुनकर उनको, हमें कहावत याद पुरानी आई है
मार बैल आ मुझे, हमीं ने जो सच कर दिखलाई है।