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Amit Kumar

Others

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Amit Kumar

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बातें अनकही

बातें अनकही

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तुम्हारी बातें

कुछ अनकही सी

हमेशा रह सी जाती है

या काबिल नहीं है हम

ज़ुबाँ यह कह ही जाती है

सभी कुछ तो गैरों सा

तुमने साझा किया हमसे

वो क्या आरज़ू है जो

बार बार अधूरी रह ही जाती है।

            


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