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Goldi Mishra

Others

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Goldi Mishra

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बारिश की बूंद

बारिश की बूंद

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आज शहर की गलियां ज़रा नम थी, 

एक अरसे बाद ये बारिश मेरे शहर का फेरा कर गई थी,

किसी शायर की रूबाई की तरह, 

ये बारिश की बूंदे बरसी है पंक्ति की तरह,

किसी को डर है कही ये लिबास भीग ना जाए, 

किसी की चाहत है की आज हर रंग धुल जाए, 

 नज़र नुक्कड़ की चाय की दुकान पर पड़ी, 

आज लगा ये चाय ही बारिश में एक साथी थी, 

रुका दो घड़ी, ज़रा चुस्की चाय की भरी, 

बारिश आज मानो थमने को ना थी, 

मेरी मंजिल मुझसे दूर सी हो गई थी, 

 पर जाने अनजाने आज कुछ वक्त खुद के साथ था, 

इस बारिश ने मुझे रोका नहीं मुझे थामा था, 

मैं तो बे सुध था इसने मुझे महका दिया था, 

मुझमें जो गीत थे उन्हे राग दे दिया था, 

ये बारिश मानो कह रही थी कुछ,

 मुझे लौटा रही थी मेरा सब कुछ, 

 एक सफर में मैं हूं या एक नए सफर की ओर हूं, 

इस बारिश में भीग मैं नया हो गया हूं,

 एक नई तान की गूंज मेरे शहर में हर ओर है,

 बेरंग ये गलियां अब रंगो से सरा–बोर है, 

बूंदे ये बारिश की आहिस्ता थमने लगी, 

और मेरे शहर को उमंग दे कर एक मुसाफ़िर की तरह रवाना हो गई।


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