बाल कविता : "रेल"
बाल कविता : "रेल"
आओ बच्चों खेले खेल।
चले बनाकर अपनी रेल।।
इक दूजे का पकड़ो हाथ,
हर मुश्किल में रहना साथ।
फिर हर बाधा जाओ झेल।
आओ बच्चों खेले खेल।।
नेता एक बनाओ इंजन,
जो करे सभी दुखों का भंजन,
करो तरक्की करके मेल।
आओ बच्चों खेले खेल।।
अनुशासन में मिलकर चलना,
इक दूजे को कभी न छलना,
निकालो मत वंचित का तेल।
आओ बच्चों खेले खेल।।
मौका दो जो भी है काबिल,
तभी मिलेगी सबको मंजिल,
कभी करो ना धक्कमपेल।
आओ बच्चों खेले खेल।।
जितनी जिसकी संख्या भारी,
उसकी उतनी भागीदारी,
कसना नहीं नाहक नकेल।
आओ बच्चों खेले खेल।।
चले भारती रेल सवारी,
जिसमें बैठे जनता सारी,
कभी न होगा कोई फेल।
आओ बच्चों खेले खेल।।
