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बादल निकले हैं घूम घूम

बादल निकले हैं घूम घूम

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बादल निकले हैं घूम घूम कर

थोड़ी सी तफरी करने को

सूरज भैया बहुत चमक लिये

बिजली दीदी को चमकने दो।


लाए है पोटली भर भर बूंदे

पर यूं ही नहीं बरसाएंगे

पहले ज़रा नाच नचाएंगे

गर्मी से हमें झुलसायेंगे।


बारिश का रास्ता देख देख

कितने हलक है सूख गए

पशु पक्षी पादप विटप सभी

पानी बिन कैसे सूख गए।


वर्ष भर के हर ऋतु से वर्षा ऋतु

तेरा है स्थान विशेष

तू भी इतना जानती है कि

तू नहीं तो, बस स्मृतियां शेष।


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