औरत
औरत


औरत होने का इस दूनिया में
कर्ज चुकाना पड़ता है
सब ज़ुल्म सहो कुछ भी न कहो
निज सर को झुकाना पड़ता है
उस औरत पे है ज़ुल्म करे
जिसने की तुझ को जाया है
है वही बहन बांधे राखी
बनकर बीबी अपनाया है
लूटा है जिसे हर रिश्ते ने
उसे कष्ट छुपाना पड़ता है
इनका जीवन भी क्या जीवन
सुख की छाया छू ना पाया
होठों पे हँसी मुस्कान नहीं
दिल अंदर अंदर घबराया
लेता जो जन्म है इस जग में
उसे छोड़ के जाना पड़ता है
बेटी को जन्म के पहले भी
यहाँ प्राण गँवाना पड़ता है
हर रिश्ते में है कष्ट सहे
फिर भी न किसी से कुछ है कहे
सब ज़ख्म सहे दिल में अपने
नहीं अपने दर्द को बयाँ करे
है जन्म ले घर बेटी बनकर
दुल्हन बन पीहर से जाना पड़ता है !!