"अतीत"
"अतीत"
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विश्व पटल पर देखो,
अपना हिंदुस्तान कहां है।
मन को जो आंदोलित करती,
कविता की वह धार कहां है।
तुलसी सी रामायण ढूंढो,
मीराबाई, रसखान कहां है।
महाभारत सा महाकाव्य,
भारत की पहचान कहां है।
फूहड़ गीतों का बोलबाला,
वीरों में जो जोश जगा दें।
वीर रस की धार कहां है।
दो परिवारों को जो जोड़ें,
पहले वाला ब्याह कहां है।
आन-वान पर मिटने वाला,
अब अपना स्वाभिमान कहां है।।
