Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Mr. Akabar Pinjari

Others

5.0  

Mr. Akabar Pinjari

Others

अश्क-ए-बारिश

अश्क-ए-बारिश

1 min
351


चले हम अकेले राहों पर जांबाज हो, तो फिर क्या ग़म है,

कोई अपना साथ ना भी हो, तो फिर क्या ग़म है,

आने दो मुश्किलों को भी, तैयारियाँ करके

गुस्ताखियाँ है गर माफ़ उनकी, तो फिर क्या ग़म है।


महफूज़ रखना, अपने शातिर इरादों को ज़ालिम,

बक्श दूँगा मैं, हर बार की तरह इस बार भी तुम्हें

तो फिर क्या ग़म है।

चलते है फ़रेबी तो चलने दो ना यार, है मंज़िलें ही

अब बस में अपने, तो फिर क्या ग़म है।


दरख़्तों से शाखें टूट जाती है तो टूट जाए, है फलों की

मिठास पास, तो फिर क्या ग़म है।

है बेकरार जिनके ख़ातिर जिंदगी में, उनकी यादों के

रंग में रंगना ही है, तो फिर क्या ग़म है।


वह मिले तो सातों जहान है मेरे बस में, ना मिले तो

सब पाकर भी, कुछ ना कुछ कम है।

इंतज़ार में हमसफ़र के, बरसते हैं प्यार के बादल

इश्क-ए-बारिश में भी आज भी, अश्कों से आँखें नम है।



ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍