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Rajinder Verma

Others

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Rajinder Verma

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अर्ज़ किया है

अर्ज़ किया है

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कुछ हमने कहा और कुछ तुमने समझा

रंजिश बस मौकाए इंतज़ार में थी 

सारी उम्र ख्वाहिशों के चक्रव्युह में

मसरूफ़ थे

जिन्दगी में अफसोस तो लाज़मी था 


वक्त रहते गर बात बन जाती,

फकत यादें क्या हसीन हो जाती 


रुख हवाओं का तब्दील होगा

बस एक जिन्दगी का दामन न छूटे


या रूह कि गुलाम है ये जिन्दगी या

फिर तकदीर कि मुहाफिज

कैसे न कबूल हो,

कोई मुख्तलिफ रास्ता तो नजर करे 


जिन्दगी इस कदर करीब आयी,

के उसकी आगोश अब साँसों के

घुटन का सबब बन गयी 


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