STORYMIRROR

Rajinder Verma

Others

2  

Rajinder Verma

Others

अर्ज़ किया है

अर्ज़ किया है

1 min
166

कुछ हमने कहा और कुछ तुमने समझा

रंजिश बस मौकाए इंतज़ार में थी 

सारी उम्र ख्वाहिशों के चक्रव्युह में

मसरूफ़ थे

जिन्दगी में अफसोस तो लाज़मी था 


वक्त रहते गर बात बन जाती,

फकत यादें क्या हसीन हो जाती 


रुख हवाओं का तब्दील होगा

बस एक जिन्दगी का दामन न छूटे


या रूह कि गुलाम है ये जिन्दगी या

फिर तकदीर कि मुहाफिज

कैसे न कबूल हो,

कोई मुख्तलिफ रास्ता तो नजर करे 


जिन्दगी इस कदर करीब आयी,

के उसकी आगोश अब साँसों के

घुटन का सबब बन गयी 


Rate this content
Log in