अर्पण कुमार की कविता 'अधजली सिगरेट'
अर्पण कुमार की कविता 'अधजली सिगरेट'
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अधजली सिगरेट
अर्पण कुमार
मैं जीना चाहता हूँ
70 वर्ष की उम्र तक
70 मिलीमीटर की
एक साबुत सिगरेट की तरह
कह दूँ आज ही
जलाने वालों से
अधजला कर मेरे शरीर को
फेंक दिया जाऐ
किसी अधजली सिगरेट की भाँति
यह सब इसलिऐ कि
सिगरेट का
मुझ पर बड़ा क़र्ज़ है
क्योंकि तमाम उम्र
सिगरेट जला जला कर
मैंने अपने अंदर की आग को
बुझाने की कोशिश की है
.......
