अपनी सोच रखते हैं
अपनी सोच रखते हैं
मुमकिन नहीं होती मुलाक़ात उनसे हरदम
मगर अपनों की हमेशा ख़ैर खबर रखते हैं।
खूबसूरत नज़र ही नहीं नज़रिया भी रखते हैं
ज़िंदगी के सफर में हसीं हमसफ़र रखते हैं।
ख्वाईशों के तुम पंख लगाकर आसमान छूते हो
मगर अपने पांव हमेशा ज़मीं पर रखते हैं।
बहुत उलझी है रिश्ते नातों की ये गणित
लेन देन के खाते का हिसाब बराबर रखते हैं।
पिघले दिल हमारा किसी औऱ के जानिब
दुआओं में अपनी थोड़ा असर रखते हैं।
पूरी ईमानदारी से निभाता रहते फ़र्ज़ अपना
पूरा करने में नहीं कोई कोर कसर रखते है।
सारी दुनिया घूम लेते हैं हम फकीरी में
सुकून की जहां रोटी मिले ऐसा घर रखते हैं।
नेकी कर दरिया में डाल से ताल्लुक रखते हैं
बदी करते वक्त ऊपर वाले का डर रखते हैं।
