अनोखा तारा
अनोखा तारा
आसमान में ऐसा अनोखा तारा
हम सबको लगता प्यारा,
सबका मामा वह कहलाता,
वह है चांद का प्यारा
यह चमकता है,
हर दिन ,चौथ हो ,या ईद,
इतना तू मुझे, अच्छा लगता है,
जो हर वक्त ही मेरा ,
सारा रंग रूप मोह लेता है,
कभी-कभी मैं, खुद को अकेला,
महसूस कर जाती हूँ,
पर तू है, चांद मुझे,
अपना बना लेता है,
जब तू खुद रुठ जाता है तो,
खुद अपने को छुपा लेता है,
जब मैं, तुझे मनाती हूँ,
तो तू मुँह मोड़ लेता है,
इतना सुंदर तू है,
हर वक्त चमकता तू है,
सबको लगता है प्यारा,
अपनी मोह माया में,
सबको है फंसाता,
बादलों से तू है लड़ता,
धूप में,तू गायब रहता,
तेरा इश्क, मेंरे रोम रोम में बहता,
मुझे तेरा,इश्क भी पसंद है,
और दाग भी।।