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Vaishno Khatri

Others

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Vaishno Khatri

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अनकहे रिश्ते

अनकहे रिश्ते

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केंद्रीय विद्यालय की प्राचार्य से गुहार

कितना सुंदर कितना प्यारा, छिंदवाड़ा हमारा।

मुझे छोड़कर क्यों जाते हो, मैंने क्या बिगाड़ा।


सुंदर बंगला व सुंदर नज़ारे, चारों धाम हैं पास।

नज़ारे यहाँ के देखकर, मन हो जाता है उजास।


द्वि वर्षों से लगातार, आपने मुझ को चमकाया। 

निज अश्रांत प्रयासों से की, मेरी कंचन काया।


जब चले जाओगे, हमको बहुत याद आओगे।

आप भी हमें याद करके बहुत ही पछताओगे।


रहे हैं अनवरत प्रयासरत, उच्चस्तरीय बनाने में। 

फिर कैसे प्रसन्न हुए, हमको छोड़कर जाने में।


देख इसी प्रतिभा को, उन्होंने भी चयन किया।

मुझ में कुछ कमी न थी, आपने कैसे छोड़ दिया।


ईश्वर करे कृपा, प्रसन्नता से, लबालब रहें सभी।

जाएँ कहीं पर विद्यालय को, भूल न पाएँ कभी। 


कुसुमों से सजी तदबीर, कष्टों से न हो सामना।

सुख-स्वास्थ्य से हों भरपूर, ईश्वर से है कामना।



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