अमन पसन्द
अमन पसन्द
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अमन पसंद, वसुधैवकुम्बकम
का भाव ह्रदय में धरते हैं
लेकिन दुश्मन ये ना समझे
कि हम उससे डरते हैं
निदोषों पर वार करें
दुश्मन वो मानवता के
छद्म वेश धारण करते
पुतले ये दानवता के
विनाश हेतु दानवता के
दुर्गावतार बन जाएंगे
छोड़ पसन्द अमन वाली
फिर नई पसन्द अपनाएंगे
दानवता के पुजारियों का
दमन ही करके जाएंगे
दमन ही करके जाएंगे
