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अक्सर एक सवाल सा!!

अक्सर एक सवाल सा!!

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पूछा है जिंदगी से यह सवाल कई बार....

आखिर मुझे है किस बात का इंतजार?


जिंदा हूं मैं! क्योंकि सांसे हैं बरकरार ?

पर जज्बातों के भीतर घुटन क्यों है बेशुमार?


क्यों जिए जा रही हूँ मैं, बेमकसद दिन रात?

गर नहीं है कोई मंजिल,

तो क्यों खुश नहीं होता मन हकीकत के साथ?


क्यों उलझते हैं जहन में अनेकों सवाल?

क्यों नहीं मिलता इन सवालों को जवाब?


कारवांए जिंदगी हसरतों के सिवा कुछ भी नहीं,

ये किया नहीं, वो हुआ नहीं, ये मिला नहीं, वो रहा नहीं।।


सभी सवालों का बस एक ही है जवाब,

बस एक ही है जवाब,

जिंदगी जीना है, तो रोमांच मन में उतार,


वक्त बहुत कम है हम सभी के पास,

मिला है जो भी वो नेमत है रब कि।


सवालों को छोड़ और जीने की ठान,

रास्ता खुद ब खुद निकल आएगा एक रोज।



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