STORYMIRROR

अकेले

अकेले

1 min
203


हम आसपास घरों में रहते हैं

राहों में अक्सर टकराते हैं

"कैसे हो?" हँस के पूछते हैं

फिर अपने काम पे निकल जाते हैं

हम अपने पड़ोसियों को कितना जानना चाहते हैं

अपने बारे में कितना बताना चाहते हैं

 

दूसरों के घर में घुसना अच्छा नहीं लगता

पर इन्सानी जीवन अकेले नहीं कटता

इंटरनेट की दोस्ती कितनी सरल है

कुछ भी कह&nbs

p;दो यहाँ पे, किसे डर है

पर जब तक धोखे के डर को नहीं जीतते

किसी रिश्ते भरोसा भी तो नहीं करते

 

इंटरनेट पे दोस्तों के मेले हैं

पर बंद कमरे में हम अकेले हैं

बच्चों को ब्लू व्हेल से बचाने की फ़िक्र है

पर सामने खड़े लोगों से दोस्ती का कितना ज़िक्र है

हमारे कहने पे नहीं सीखेंगे

बच्चे वही करेंगे जो देखेंगे


Rate this content
Log in