अकेला छोड़ जाती हो
अकेला छोड़ जाती हो

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दरवाजा बंद कर दस्तक भी देती हो
फिर छुप कर आवाज़ भी लगाती हो
चुप रहने को कह कर मुझे तुम खुद ही
टेढ़ी-टेढ़ी नज़रो से सवाल भी करती हो
रोज रोज मेरा साथ देने के नाम पर तुम
कुछ देर मुझसे मिलने भी चली आती हो
फिर तुम ही बताओ क्यों तुम बार-बार
रोज रोज मेरा साथ देने के नाम पर तुम
कुछ देर मुझसे मिलने भी चली आती हो
मुझे ऐसी दोहरी दुविधा में डाल जाती हो
यूँ रोज कल आने का बोल कर तुम मुझे
क्यों रोज यूँ अकेला छोड़ जाती हो !