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Mukesh Bissa

Others

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Mukesh Bissa

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ऐसी सिहरन

ऐसी सिहरन

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सन्तों की धरा पर कैसे

सन्तों की हत्या हो गयी।

ऐसा कृन्दन दृश्य देख 

हर आंख आज रो गयी।

देखो रक्षक थी जो सेवा में 

भक्षक बन के सो गयी

संकट की इस बेला में 

मानवता की हत्या हो गयी।


निर्दयी असुरों का जमघट 

बेचारो संतों पर टूट गया।

निरंकुश जनता के द्वारा

रक्त सभी का बह गया।

हाथ दोनो जोड़ सभी सन्त

भीख दया की मांग रहे थे।

लेकिन वर्दीधारी लोग कुछ

बस हाथ बांध ही खड़े थे।


हर इंसान कर रहा हैं

प्रश्न इस सत्ता पर।

लगा रहा हर नागरिक

आरोप पुलिस व्यवस्था पर।

पालघर की यह व्यवस्था 

बचा न पायी संतों को।

हिंसक और हत्यारों से

दूर न कर पायी संतों को।







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