अधूरे सपने.....!!
अधूरे सपने.....!!
याद मुझे वो पल
जब मेरे कुछ सपने
पीछे रह गये...औ
आनन-फानन मुझे
समय के साथ जाना पड़ा..
बंद आंखों के सपनों ने हंसाया
औ कभी टूटे सपनों ने रुलाया..
बहुत से ख्याल जुदा हुए
जिंदगी के सच में स्वयं को
मापती रही.. कितना रुठूं-मनाऊं
बस समझती रही...चलती रही
थक जाती हूँ कभी-कभी
सर टेक आंख बंद जब -जब
लौटी पीछे... उन सपनों के पीछे
ये आंसू तो नहीं आते, लेकिन
कसक जाता है मन औ फिर...
अहसास बिखर दूजे पल समेट
मुझसे आईना सा सच कह जाती....
कि नंदिता सच के धरातल पे कुछ अनकहे अहसास...
औ साथ होंगे अपने ये कुछ अधूरे सपने....!!