Nandita Tanuja

Others

4.0  

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अधूरे सपने.....!!

अधूरे सपने.....!!

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याद मुझे वो पल

जब मेरे कुछ सपने

पीछे रह गये...औ

आनन-फानन मुझे

समय के साथ जाना पड़ा..

बंद आंखों के सपनों ने हंसाया

औ कभी टूटे सपनों ने रुलाया..

बहुत से ख्याल जुदा हुए

जिंदगी के सच में स्वयं को

मापती रही.. कितना रुठूं-मनाऊं

बस समझती रही...चलती रही

थक जाती हूँ कभी-कभी

सर टेक आंख बंद जब -जब

लौटी पीछे... उन सपनों के पीछे

ये आंसू तो नहीं आते, लेकिन

कसक जाता है मन औ फिर...

अहसास बिखर दूजे पल समेट

मुझसे आईना सा सच कह जाती....


कि नंदिता सच के धरातल पे कुछ अनकहे अहसास...

औ साथ होंगे अपने ये कुछ अधूरे सपने....!!



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