STORYMIRROR

Rahim Khan

Others

3  

Rahim Khan

Others

अब तो तू भी जाग जा रे इन्सां

अब तो तू भी जाग जा रे इन्सां

1 min
318

अब तो तू भी जाग जा रे इन्सां

कहीं पे खड़ा है मुसलमां कहीं पे खड़ा है हिन्दू

हर कोई अपने लिए है जाग पड़ा 

बस तू ही इन्सां है सोया पड़ा

अब तो तू भी जाग जा रे इन्सां


किसी को है मस्जिद की पडी़,

किसी को पड़ी है मंदिर की

ये तंग दिल है दुनिया उसे है पत्थर की पड़ी 

तू सोया है इन्सां तेरी दुनिया है नंगे बदन पड़ी 

अब तो तू भी...


किसी के लिए अपनी किताबें बड़ी हैं

किसी के लिए हैं ये सरहदें बड़ी 

अपनी कद्रो बका के लिए  

ये दुनिया है लड़ पड़ी 

अब तो तू भी...


ये दीन ओ धर्म का अजब आलम है छाया

गैरों की सरकशी का है जो दस्तूर बनाया

मज़हब परस्ती के लिए इन्सां जा रहा जलाया

अब तो तू भी...


हर गली हर मकां बन गया किसी का झमेला

कोई मेरा कोई तेरा

रह गया रहीम अकेला

खालिक की इस खता से मचा है ये मेला

अब तो तू भी...


Rate this content
Log in