आया वसंत
आया वसंत
आए हैं ऋतुराज वसंत,
वसुधा मुस्काई आ गए कंत।
ओढ़ी पीली चुनरिया उसने,
फूलों के पहने हैं गहने।
वृक्षों ने नवश्रृंगार किया है,
हरीतिमा को ओढ़ लिया है।
कोयल मीठे गीत सुनाए,
भंवरे गुन-गुन करते आए।
रंग-बिरंगी तितलियां उड़ती,
कोमल कलियां हैं खिलती।
बसंत में प्रकृति हुई बासंती,
बहती बयार हुई मधुमाती।
पीत वर्णी पुष्पों की शोभा,
देख-देख मन उठता लोभा।
ख़ुशियाँ लेकर आया बसंत,
प्रकृति की शोभा हुई अनंत।
शब्द सुंदरता कैसे करें वर्णन,
अनुभूति का होता स्पंदन।
मां सरस्वती की होती पूजा,
उन के सम न कोई दूजा।
ज्ञानदीप वे मन में जलाएं,
अंधकार को दूर भगाएं।
असत्य और अज्ञान मिटाएं,
जीवन-ज्योति उज्ज्वल हो जाएं।
