आत्मा का परमात्मा से मिलन।
आत्मा का परमात्मा से मिलन।
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शरीर है बाहरी आवरण और आत्मा है शाश्वत।
एक दिन मिलना ही है इस देह को तो मिट्टी में,
पर आत्मा है अखंड और अनंत।
कर्मों का लेखा जोखा ही तय करता है स्वर्ग और नरक,
अच्छे कर्मों से ही मिलता है मोक्ष और परमानंद।
यह तय है इस शरीर को छोड़ जाना है एक दिन,
मोक्ष ही तो है परमात्मा और आत्मा का मिलन।
परमात्मा खुद चुनते है उस पवित्र आत्मा को,
होता है सौभाग्य खुद को मुक्त कर लेना इस बंधन से।