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Megha Rathi

Others

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Megha Rathi

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आसान नहीं ज़िन्दगी

आसान नहीं ज़िन्दगी

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लहरों पर न चल सके,

वे समंदर में क्या उतरेंगे।

गहराई में मापते रहेंगे,

खुद को सागर समझ।

वे नदी के इश्क दास्तान,

किस तरह समझेंगे!


हाथ पसारे हवा को,

मुट्ठियों में क़ैद करने की

बात करते हैं।

इक झोंका भी आये,

तो आंधी के ख़ौफ़ से

दुबक जाते हैं।


बातें करना, कसम खाना है,

बहुत आसान इस ज़िन्दगी में।

निभा सकें ऐसे शख्स ,

हर कहीं नहीं मिलते।

मन बहलाने को कुछ देर,

थाम लेते है जो हाथ किसी का।

ऐसे ल

ोग किसी के सच्चे,

तलबगार नहीं होते।


प्यार करना सिखाते है,

हीर को आकर बेवफ़ा

जो रांझे होते हैं ,

वे सपने उंगली पे नहीं गिनते।

माना कि इश्क खुश्बू है,

अहसासों के बादलों की।

पर दामन को इसके,


तड़पा के नहीं भिगोते।

शिकवे तो बहुत हैं,

जमाने को मगर फिर भी।

लाचार हैं हम जो,

जीना छोड़ा नहीं करते

और 

मुझ पे उंगली उठाने वाले,

खुद को भी देखना तुम।

जो खुद दागदार हैं,

वे दाग दिखाया नहीं करते।।


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