आओ तुम
आओ तुम
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अब देख लेना है,
होना जो हो
हो जाए,
किधर की बात करते हो?
सितारे कब अपने
टकराए?
जो बात वाज़िब है
हुई वो साथ,
कब अपने
हमें फुर्सत थी?
जिस पल में
लुटे हम बाद
उस पल के,
कहाँ तक अंधेरों में
उजाले की गुंजाईश होगी?
जब चराग-ए- दिल न जल पाए
चराग-ए-घर
जलाओ तुम,
कभी भूल से ही सही लेकिन
मेरे भी घर तो
आओ तुम।
