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Anil Gupta

Others

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Anil Gupta

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आओ चलो बच्चे बन जाएं

आओ चलो बच्चे बन जाएं

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आओ चलो बच्चे बन जाएं

वो भी क्या बचपन के दिन थे

साग पराठे खाते थे

खूब खेलते गुल्ली डंडे

चंग पो में लग जाते थे, 

कभी शिकायत की न झूठी

न अपनो के सर फोड़े 

उड़ा पतंगे कुछ तन जाएं

आओ चलो बच्चे बन जाएं,

हुए बढ़े कॉलेज गए हम

बदल गए सारे सपने

छूट गए बचपन के साथी

और हो गए कुछ अपने,

अन्टी भी खेली थी हमने

अब हाथ में आया बेट नया

चौके छक्के खूब लगाए,

पिच पर दौड़े रन बन जाए

आओ चलो बच्चे बन जाए

पढ़ लिख कर पाई एक डिग्री

दोस्त यहीं से बिछड़े जिगरी,

मिली नोकरी अपने बिछड़े

मात- पिता अपने सब छूटे,

शादी की पाया हम साथी

जली दीप के संग ही बाती

फिर से वो दुनिया बन जाएं

आओ चलो बच्चे बन जाएं ।


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