आज़ादी
आज़ादी
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आजा़दी आज हो गई है चौहत्तर साल की। ।
इसे पाने में भूमिका थी लाल बाल पाल की।
मनमानी करके नफरत, दंगे मत भडकाओ,
संघर्षों से मिली ये पूंजी है देश विशाल की।
दोसौ बरसों की गुलामी को भारत ने झेला।
फूट डाल कर राज करो ये अंग्रेजों का खेला।
देश के कई राजा-महाराजा शत्रु से मिल बैठे,
ये वो ही लोग थे जिनका मन बहुत था मैला।
फिर भी नहीं बुझी अग्नि क्रांति मशाल की।
संघर्षों से मिली ये पूंजी है देश विशाल की ।
लक्ष्य था सबको साथ लेकर चलना है
मुश्किलें आएं कभी नहीं पीछे हटना है।
हम भारतवासी भाई - बहन सब एक हैं,
धर्म जाति को छोड़ बस आगे बढ़ना है।
हमें शोभा लानी है भारत मां की भाल की।
संघर्षों से मिली ये पूंजी है देश विशाल की ।
आज बदल गए हैं आज़ादी के मायने।
उश्रंंखलता हिंसा का लगे दामन थामने।
इंसानियत आंसू बहाती भाईचारा खतम,
जानवरों के साथ इंसानों को लगे काटने।
समाज का पतन है नाव ज्यों बिन पाल की।
संघर्षों से मिली ये पूंजी है देश विशाल की ।