आज़ादी की पहचान
आज़ादी की पहचान
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आज़ाद हिंद की मैं पेहचान हूँ
मुझे आज़दी चाहिए
मुझे हू उस वीरता का पुरस्कार
मुझे आज़ादी चाहिए
खुले आसमान मे मैं उड़ान हूँ
मुझे आज़ादी चाहिए
झुके जो शीश मेरे आँचल में, में उसी का आशीर्वाद हूँ
मुझे आज़ादी चाहिए
ख्वाबों के जहां में खुली पतंग सी हूँ
मुझे आज़ादी चाहिए
सालाखों मे कब तक रहूं कैद
मुझे आज़ादी चाहिए
पिंजरे मेरे बंद पंछी हूँ
मुझे आज़ादी चाहिए
देहलीज में हूँ तो लक्ष्मी , वरना दुर्गा का रूप हूँ
मुझे आज़ादी चाहिए।