आज उड़ ले
आज उड़ ले
अपने एहसास की ज़मीन पर
कदम जमाये रखना,
उड़ा ले आज पतंग तू
जी भर के उड़ ले आसमान में
कल अपने वजूद की
डोर थामे हाथों में रखना।
अपनों को लिए
परवाज़ में बहना है।
तुझे बहना है
बहती बयार के ख़िलाफ़,
बखूबी समझती है तू
हवाओं के हर रुख़ को।
मुस्कुराहट के दिये की लौ,
झिलमिलाती रखना।
लादे पूरा असबाब पीठ पर
चलना है चलते जाना है,
परिवार की नींव तू ठहरी
हर चुनौतियों से उलझना है।
हौसले को हिम्मत के धागों से
हरदम तुमको बुनना है।
फुर्सत के इन लम्हों को
शरारतों से सजाकर
स्मृति की संदूक में भर ले
कल झंझावतों से लड़ना है।
