आई रे,आई रे होली
आई रे,आई रे होली
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बरसे रंग गुलाल गगन से
आते अद्भुत सुमन चमन से
आई रे, आई रे टोली।।
अम्बर से शशि- रवि ले आयो
धरती रंग- रंग रंग सजायो
भाई रे,भाई रंगोली।।
लिए तराजू तौल रहा ऋतु
अपनी धुन में आज बहा ऋतु
लाई रे, लाई रे झोली।।
प्रिया दांव सब साध रही हैं
कटि पर चोली बांध रहीं हैं
डाई रे,डाई रे रोली।।
ऊषा- धरती आज रंगी है
अम्बर भैया धरा ठगी है
धाई रे,धाई रे भोली।।
अधर सुमन से बुला रही है
मन में छल- बल घुला रही है
रंगाई रे,आही रे चोली।।