आह
आह
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जब खत्म हो जाते हैं रिश्ते,
रह जाती है सिर्फ एक आह,
जब हो किसी से बेपनाह चाह,
तब मिलती है आपको सिर्फ आह,
जब आप करो किसी को बेशुमार प्यार,
फिर भी वह आपके दर्द से न करे कोई सरोकार,
होता है तब दर्द अपार,
भरनी पड़ती है तब आह हज़ार,
दर्द ही रह जाता है तब जीवन में,
जब कोई बेवफ़ा बसता हो आपके मन में,
कैसे कोई करना छोड़े फिर भी उसकी परवाह,
भले ही हर पल हर दिन
उसने आपको दी हो सिर्फ आह,
आपके सच्चे प्यार का तब
सिर्फ ईश्वर ही होता है गवाह,
जब मन से किसी को चाहो और
वही दर्द दे तो जीवन में
बचती है एक टीस भरी आह।