आधुनिका रचती इतिहास
आधुनिका रचती इतिहास
आज की नारी मोहताज नहीं किसी की,आधुनिका रचती है इतिहास।
स्वयं की अनुयायी बन देश में सामाज का हर दिशा में करती है विकास।
शिक्षा को अधिकार समझकर आत्मनिर्भरता का वाहन है लेती,
चिकित्सा,राजनीति हो या प्रशासनिक क्षेत्र अपना पूर्ण संबल है देती।
जूडो कराटे,आत्मरक्षा तंत्र सीख,रक्षा का वचन ना मांगती,
खुद को खुद का सशक्त कवच बनाकर अब दहलीज़ लांघती।
फाइटर प्लेन उड़ाती,अंतरिक्ष में ब्रह्मांड के रहस्य ढूंढ लाती,
भारोत्तोलन ,तैराकी जिम्नास्टिक में भी स्वर्ण पदक पाती ।
पर्वत लांघकर विजेता का परचम फैलाती नभ की है नायिका,
घर-घर अंतस में पूजने वाला रुप नवरात्रि की है चंडनायिका।
घर,दफ़्तर का दायित्व निभा योग व्यायम के लिए भी समय निकालती,
वर्जनाओं का गुरुत्व तोड़कर बेटी से बेटा बन परिवार संभालती।
बंद मुट्ठी खोल, हर चुनौती स्वीकार,खरा उसपे है उतरती,
सौन्दर्य की होड़ छोड़ अस्तित्व,अस्मिता की धार पर है निखरती ।
न आरक्षण की लालसा, न ही पुरुष प्रधान सामाज से है डरती,
अपने अनुभवों से प्रेरित होकर, प्रखर आत्मबल का निर्माण वो है करती।